इस बार 4 नवंबर को देश में दिवाली और नरक चतुर्दशी (Narak chaturdasi) मनाई जाएगी. नरक चतुर्दशी के दिन यम की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि नरक चुतर्दशी के दिन यम का दीया जलाने से अकाल मृत्यु के डर से मुक्ति मिल जाती है. इसी कारण इस दिन घर के मुख्य द्वार पर एक मुखी सरसों के तेल का दीपक अनाज की ढेरी पर जलाया जाता है.
नरकासुर दैत्य ने कर रखा था सभी को परेशान
इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है. जिसके मुताबिक कृष्ण भगवान अपनी आठों पत्नियों के साथ द्वारका में सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे थे. इसी दौरान एक नरकासुर नामक दैत्य था और वह अपनी शक्तियों से सभी को परेशान करने लगा था. फिर एक दिन इंद्र देव भगवान कृष्ण के पास पहुंचे और राक्षस द्वारा तीनों लोकों पर अधिकार जमाने की बात बताई.
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इस वजह से मनाई जाती है नरक चतुर्दशी
इसके बाद नरकासुर अपनी सेना के साथ कृष्ण भगवान से युद्ध के लिए चला. नरकासुर को स्त्री के हाथों के मरने का वरदान प्राप्त था इसलिए कृष्ण भगवान ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर का वध किया. जिस दिन नरकासुर का वध हुआ उस दिन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी इसी वजह से इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है.
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