केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने गुजरात के आणंद में अमूल (Amul Dairy) के 75वें स्थापना वर्ष पर आयोजित समारोह को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए सहकारिता से बड़ा कोई मार्ग नहीं हो सकता. केन्द्रीय गृहमंत्री ने ये भी कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में सहकारिता बहुत बड़ा योगदान कर सकती है.
सरदार पटेल का अमूल से गहरा रिश्ता रहा
केन्द्रीय गृहमंत्री ने आगे कहा कि सरदार पटेल का अमूल से गहरा रिश्ता है, प्राइवेट डेयरी के अन्याय के खिलाफ किसानों के संघर्ष को सरदार पटेल की प्रेरणा और कर्मठ सहकारी नेता त्रिभुवन दास पटेल ने सकारात्मक सोच की ओर मोड़ने का काम किया. जो आंदोलन होते हैं वह समस्या को खत्म करने के लिए होते हैं, समस्या बढ़ाने के लिए नहीं.
Addressing the 75th foundation year celebrations of @Amul_Coop in Anand, Gujarat. https://t.co/S0yIt7k1DF
— Amit Shah (@AmitShah) October 31, 2021
36 लाख परिवारों की रोजी का जरिया बना अमूल
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आज यह 36 लाख परिवारों की रोजी का जरिया बना है. खेड़ा जिले में हुए इस आंदोलन के कारण ही आज यह वटवृक्ष हमारे सामने है. एक ऐसा उदाहरण है कि छोटे-छोटे लोग अगर इकट्ठे होकर अपनी क्षमता बढ़ाते हैं तो कितनी बड़ी ताकत बन सकते हैं, आज अमूल के आंदोलन ने ये दिखाया है.
अमूल ने 75 साल में बड़ा सफर तय किया
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जब अमूल की कल्पना की गई थी तो 200 लीटर के आसपास दूध जमा होता था, लेकिन आज अमूल का वार्षिक टर्नओवर 53 हजार करोड़ को पार कर चुका है. हर रोज यह 30 मिलियन दूध का स्टोरेज और प्रोसेसिंग होता है. 18 जिलास्तरीय डेयरियां और देशभर में अलग-अलग जगहों पर मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट लगे हैं. अमूल ने 75 वर्षों में बहुत बड़ी यात्रा तय की है.
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डेयरी क्षेत्र के लिए 5 हजार करोड़ देगी सरकार
अगर यही को-ऑपरेटिव किसी अन्य देश में होती तो पूरी दुनिया में ढोल बज रहे होते, मैं अमूल के लोगों को कहना चाहता हूं कि आप यश प्रतिष्ठा की चिंता नहीं करे, अमूल ब्रांड ही आपके गुणगान का जरिया बन चुका है. 5 हजार करोड़ रुपये भारत सरकार डेयरी क्षेत्र के लिए देने वाली है, जिसके योजना का आज शुभारंभ हुआ. मैं सहकारिता आंदोलन से जुड़ा हुआ व्यक्ति हूं, मोदीजी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना कर इसे बढ़ाने का निर्णय लिया है. यह सहकारिता मंत्रालय जो बना है, यह सहकार से समृद्धि के सूत्र वाक्य को लेकर बनाया गया है.
अमूल को और आगे बढ़ाने की जरूरत
कृषि और पशुपालन के साथ जुड़े हुए कई विषयों को को-ऑपरेटिव की राह पर आगे ले जाने की जरूरत है. कृषि को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है. अगर आप इस 36 लाख परिवार तक सीमित रहेंगे तो ऐसी सोच ठीक नहीं होगी, अगर त्रिभुवन भाई ने ऐसा सोचा होता तो अमूल आणंद के बाहर नहीं जाता. बता दें कि अमूल की स्थापना 14 दिसंबर 1946 को हुई थी.
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