केन्द्रीय गृहमंत्री सह सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने नेशनल को-ऑपरेटिव कॉन्फ्रेंस (National Cooperative Conference) को संबोधित किया. बता दें कि देश के पहले राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन (National Cooperative Conference) का आयोजन नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में किया गया. अपने संबोधन में केन्द्रीय गृहमंत्री सह सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आइए सब साथ में रहकर सहकारिता को आगे बढ़ाएं.
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि देश के विकास में सहकारिता काफी अहम योगदान दे सकता है, आज भी इसका काफी योगदान है. दलित, वंचित, पिछड़ों और महिलाओं को सहकारिता के माध्यम से ही विकास का मार्ग मिलेगा, मैं कहना चाहता हूं कि सहकारिता आंदोलन कभी प्रासंगिक था और अभी है.
Addressing the ‘National Cooperative Conference’ in New Delhi. Watch live! #SahkarSeSamriddhi https://t.co/VCGGbUdFho
— Amit Shah (@AmitShah) September 25, 2021
‘5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य में एड़ी-चोटी का जोर लगाएगा सहकारिता मंत्रालय’
हर गांव में को-ऑपरेटिव के साथ जोड़कर हर गांव को समृद्ध बनाना और गांव से देश को समृद्ध बनाना यही आंदोलन का उद्देश्य रहा है. मिलजुलकर एक साथ काम करना ही सहकारिता है. मोदी जी ने सहकार से समृद्धि का मंत्र दिया है. जो उन्होंने 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य रखा है, इसमें सहकारिता क्षेत्र में एड़ी-चोटी का जोर लगा देगा.
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’25 साल से सहकारिता आंदोलन से जुड़ा हूं’
सहकारिता आंदोलन भारत के ग्रामीण समाज की प्रगति भी करेगा और एक नई सामाजिक पूंजी का विचार भी खड़ा करेगा. भारत के जनता स्वभाव में सहकारिता घुल-मिल गई है, ये कोई उधार लिया हुआ विचार नहीं है. इसलिए भारत में कभी ये प्रासंगिक नहीं हो सकता. मैं 25 साल से सहकारिता आंदोलन से जुड़ा है.
कभी हमारी गति नहीं रुकी
पैक्स, को-ऑपरेटिव बैंक कभी लाभ की चिंता नहीं करता बल्कि संकट के समय में लोगों की मदद करता है. सहकारिता भारत के लिए नई नहीं है, 1904 से लेकर अब तक भारत ने कई तरह के मुकाम देखे. कभी हम गिरे, और उठे, धीरे चले लेकिन ये गति नहीं रुकी.
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अमूल के शुरू होने की सुनाई कहानी
लोग पूछते हैं कि सहकारी आंदोलन क्या आज भी प्रासंगिक है. अमूल का जन्म सरदार पटेल की दिव्यदृष्टि से हुआ था. 1946 में अंग्रेजों ने फैसला किया कि दूध एक प्राइवेट कंपनी को देना पड़ेगा. तब सरदार पटेल ने कहा कि जब तक आप दूध बेचने का इंतजाम नहीं करते तब तक आंदोलन सफल नहीं होगा. तब त्रिभुवन भाई पटेल ने सरदार पटेल के नेतृत्व में दो प्राथमिक दुग्ध उत्पादक समिति बनाई जिसमें सिर्फ 80 किसान थे, आज उसका टर्न ओवर 53 हजार करोड़ पार कर गया. इसमें 36 लाख किसान परिवार जुड़े हुए हैं, खासकर महिलाएं सशक्त हो रही हैं. बड़े से बड़े कॉरपोरेट डेयरी जो नहीं कर सकते वह अमूल ने कर दिखाया है.
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लिज्जत पापड़ ऐसे हुआ शुरू
लिज्जत पापड़ के बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा कि ये को-ऑपरेटिव है. 1959 में जसंवती बेन पोपट एक गुजराती महिला ने 80 बहनों को साथ लेकर पापड़ बनाने की शुरुआत की. 2019 में उनका कारोबार 16 हजार करोड़ से ज्यादा का है. 45 हजार महिलाएं इस कारोबार से जुड़ी है. अमूल और लिज्जत दोनों आज सफल हैं तो इसमें महिलाओं को बड़ा योगदान है. इफको ने देश की हरित क्रांति को अलग दिशा देने का काम किया है.
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