PIB: केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित (Left Wing Extremism) राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की. इस दौरान गृह मंत्रालय ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism) से निपटने के लिए प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव हर तीन महीने में कम से कम एक बार पुलिस महानिदेशक और केन्द्रीय एजेंसियों के साथ समीक्षा बैठक करें.
बैठक के दौरान केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि भारत सरकार बगैर राजनीतिक दलों पर ध्यान दिए कई सालों से दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ती रही है. अमित शाह ने कहा कि जो हथियार छोड़कर लोकतंत्र का हिस्सा बनना चाहते हैं, उनका दिल से स्वागत है, लेकिन जो हथियार उठाकर निर्दोष लोगों और पुलिस को आहत करेंगे, उन्हें उसी तरह जवाब दिया जाएगा.
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‘विकास की गति को जारी रखना जरूरी’
गृहमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद बीते 6 दशक में भी उन इलाकों तक विकास का न पहुंच पाना, असंतोष की सबसे बड़ी वजह है. इससे निपटने के लिए वहां तेज गति विकास पहुंचाना और ये सुनिश्चित करना आम जनता और निर्दोष लोग उग्रवादियों के साथ न जुड़ें ये काफी जरूरी है. पीएम मोदी के नेतृत्व में विकास की गति तेज हो रही है, नक्सली (Naxal-Hit States) भी अब ये समझ चुके हैं कि निर्दोष लोग उनके बहकावे में नहीं आएंगे. इसलिए उन इलाकों में विकास की गति को जारी रखना जरूरी है.
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‘उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई को तेज करने की जरूरत’
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि जिन क्षेत्रों में सुरक्षा पहुंच नहीं थी, वहां बीते दो सालों में सुरक्षा कैंप बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं. छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और ओडिशा में खासकर सुरक्षा कैंप बढ़ाए गए हैं. अगर मुख्यमंत्रई, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के स्तर पर नियमित तौर पर इसकी समीक्षा की जाए तो निचले स्तर पर समन्वय की समस्याओं को समाधान हो जाएगा. बीते 40 सालों में 16 हजार से ज्यादा नागरिकों की जान गई है, अब लड़ाई अंत तक जा पहुंची है, इसे और तेज करने की जरूरत है.
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पूर्वोत्तर के कई राज्यों के संगठने के साथ समझौता
पूर्वोतर के कई राज्यों के साथ हुए समझौते का जिक्र करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने नॉर्थ ईस्ट में कई उग्रवादी गुटों के साथ समझौता किया है. बोडोलैंड, ब्रू, कार्बी-आंगलोंग और त्रिपुरा के उग्रवादियों के साथ समझौता करने से करीब 16 हजार कैडर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं. जिन राज्यों ने केन्द्रयी बलों की मांग की है, उन्हें पूरा करने की कोशिश की गई है. पीएम मोदी की पहल पर CAPFs पर खर्च होने वाली राज्यों की राशि में 2900 करोड़ रुपये की कमी आई है. उग्रवादियों के आय के स्त्रोतों को खत्म करना काफी जरूरी है. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सभी प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री अगले एक साल तक इसे (Left Wing Extremism) प्राथमिकता दें, ताकि इसका स्थायी समाधान हो सके.
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एक दशक में घटनाओं में आई बड़ी गिरावट
साल 2009 में वापमंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism) संबंधित हिंसा की घटनाएं जहां 2,258 थी तो वहीं साल 2020 में इसमें 70 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. साल 2020 में ये आंकड़ा 665 पहुंच गया है. इन घटनाओं में होने वाली मौत की बात करें तो उसमें भी 82 प्रतिशत की कमी आई है. साल 2010 में 96 जिले माओवादी प्रभाव वाले थे, जो साल 2020 में 53 तक सीमित हुए और अब माओवादियों को 25 जिलों तक सीमित कर दिया गया है. मतलब सरकार जल्द ही वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism) पर काबू पाने की कोशिश में जुटी है.बता दें कि दस राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रण भेजा गया था लेकिन कई राज्यों के सीएम बैठक में नहीं पहुंचे.
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