Dilip Kumar Biography: बॉलीवुड में ‘ट्रेजेडी किंग’ के नाम से मशहूर एक्टर दिलीप कुमार की आज जयंती है। अभिनेता दिलीप कुमार की इसी साल 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। लेकिन बहुत ही कम लोगों को शायद पता होगा कि जिस अभिनेता को दिलीप कुमार के नाम से जानते है उनका वास्तविक नाम कुछ और था। जी हां, मोहम्मद युसूफ खान जिन्हें दुनिया दिलीप कुमार (Dilip Kumar Biography) के नाम से जानती है। वो भले ही अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनसे जुड़ी कहानियां और किस्से आज भी लोगों के दिल में बसी है। अभिनेता दिलीप कुमार की जयंती पर जानते है उनसे जुडी कुछ ख़ास बातें…
दिलीप कुमार की जीवनी:
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार का वास्तविक नाम मुहम्मद युसुफ़ खान था। उनका जन्म पेशावर (पाकिस्तान) में हुआ था। विभाजन के समय उनके पिता मुंबई आ बसे थे। दिलीप कुमार ने मुंबई से ही हिन्दी फ़िल्मों में काम करने की शुरुआत की थी। उनका नाम उस वक्त के चलन के अनुसार बदल कर दिलीप कुमार कर दिया गया ताकि उन्हे हिन्दी फ़िल्मो में ज्यादा पहचान और सफलता मिले। हिन्दी फ़िल्मो में मुहम्मद युसुफ़ खान फिर हमेशा के लिए दिलीप कुमार के नाम से मशहूर हो गए।
इसलिए कहा जाता था ट्रेजेडी किंग:
बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले दिलीप कुमार को ट्रेजेडी किंग की उपाधि मिली थी। इसके पीछे माना जाता है कि ”उन्होंने अपने दौर में फिल्मों में कई गंभीर रोल अदा किए थे। इस दौरान उन्होंने ट्रैजिक किरदार निभाए थे और इसकी वजह से वो बॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग कहलाने लगे। बताया जाता है कि दिलीप कुमार को फिल्मों में गंभीर भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ट्रेजिडी किंग कहा जाने लगा।
दिलीप कुमार की प्रमुख फ़िल्में:
बता दें ‘ट्रेजेडी किंग’ के नाम से मशहूर दिलीप कुमार ने वैसे तो कई फिमों में मुख्य किरदार निभाया था लेकिन कुछ फिल्मों में वो छा गए थे। इसमें विधाता, नया दौर, कर्मा, क्रांति, मशाल, शक्ति, गोपी, सौदागर, मुगले आज़म, मधुमती, गंगा जमुना और बैराग। आज भी लोग बॉलीवुड की इस महान हस्ती की फिल्में देखकर उनके अभिनय की तारीफ करना नहीं भूलते।
फल बेचकर करते थे गुजारा:
दिलीप कुमार का परिवार काफी गरीब था। उनके पिता पुणे में एक फल विक्रेता का काम करते थे। घर के आर्थिक हालत इतने ख़राब थे कि दिलीप कुमार को भी बचपन में अपने पिता के साथ फल बेचने का काम करना पड़ा था। लेकिन जब उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू किया उसके बाद जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनको आखिरी बार 1998 में आई ‘किला’ फिल्म में देखा गया था। उन्हें 1994 में दादासाहेब फाल्के अवार्ड मिल चुका है, जबकि 2015 में वह पद्म विभूषण से भी नवाजे जा चुके हैं।
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