शं नो वरुण:-भारतीय नौसेना
नौसेना की बहादुरी को सलाम करने के लिए हर साल हर साल देश में 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है। 4 दिसंबर 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान इंडियन नेवी ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। इसी उपलब्धि की याद में हर साल 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना जश्न मनाती है। नौसेना का ध्येय वाक्य है शं नो वरुणः!, जिसका अर्थ है जल के देवता हमारे लिए शुभ हो।
Image credit: Join Indian Navy Website
भारत की वह सेना जो हमेशा समुद्र में रहकर सीमा की रक्षा करती है। दुश्मनों के मन में पानी के रास्ते भारत में घुसने की मंशा को पनपने से पहले ही खत्म कर देती है। नौसेना के बड़े बेस मुंबई, गोवा, कारवार, कोच्चि, चेन्नई, विशाखापट्नम, कोलकाता और पोर्ट ब्लेयर में हैंI भारतीय नौसेना के सबसे बड़े पोत इसके दो बेड़ों का अंग हैं। बता दें कि पोतों के ऐसे समूह को बेड़ा कहा जाता है जो किसी एक प्राधिकारी के अधीन आपरेट होते हैं. भारतीय नौसेना का पश्चिमी बेड़ा मुंबई में और पूर्वी बेड़ा विशाखापट्नम में है. इसके अलावा पोतों के फ्लोटिला, पनडुब्बियों के स्कवॉड्रन और विभिन्न एयरक्राफ्ट हैं, जिन्हें कई नेवल एयर स्टेशनों से ऑपरेट किया जाता है. नौसेना समय समय पर अपने मित्र देशों के साथ युद्धाभ्याष भी करती है, जिससे मित्र देशों के साथ नौसेनिक सहयोग मजबूत होता है.
देखिए ये विडियो: https://ottindia.tv/watch/indian-navy-69643d353731
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भारतीय नौसेना के इतिहास के बारे में बात की जाए, तो भारतीय नौसेना का इतिहास 1612 से मिलता है। 5 सितंबर, 1612 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने समुद्री डकैतों और अपने प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबले के लिए एक छोटे से समुद्री रक्षक बेड़े का गठन किया था। इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के मरीन के नाम से जाना गया था। समय-समय पर इसका नाम भी बदलता रहा है. 1858 में बॉम्बे मरीन का नाम बदलकर हर मेजेस्टीज़ इंडियन नेवी हो गया. वहीं 02 अक्तूबर 1934 को इस सर्विस का नाम पुनः बदलकर रॉयल इंडियन नेवी (RNI) कर दिया गया था, जिसका मुख्यालय बम्बई में था.
300 पोत-पनडुब्बियों से लेस भारतीय नौसेना
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नौसेना समुद्र की सतह के उपर, सतह पर और सतह के नीचे हर तरफ हमला करने में सक्षम है। नौसेना की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस समय भारतीय नौसेना के पास एक विमानवाहक समेत करीब 300 पोत-पनडुब्बियां आदि हैं। इसके बेड़े में 14 फ्रिगेट्स, 11 विनाशक पोत, 22 कॉर्वेट्स, 16 पनडुब्बियां, 139 गश्ती पोत और चार बारूदी सुरंगों का पता लगाने और उनको तबाह करने वाले पोत हैं। विमानवाहक पोत की बात की जाए तो नौसेना के पास फिलहाल INS विक्रमादित्य है। इससे पहले INS विराट भी नौसेना के परिवार का हिस्सा था, जो 1987 में सेवा में आने के 30 साल बाद अब सेवा से मुक्त हो गया। वहीं अब स्वदेशी अत्याधुनिक आईएनएस विक्रांत का भी परीक्षण शुरू हो चुका है, जो 2021 में भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगा।
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