भगवान शिव(Lord Shiva) के क्रोध से तो सभी वाकिफ हैं, वह जितने दयालु हैं उतने ही क्रोधी भी हैं. कहते हैं कि उनका तीसरा नेत्र समस्त ब्राह्मांड को नष्ट कर सकता है. एक बार भगवान शिव के क्रोध का सामना उनके बेटे गणेश(Ganesh) को भी करना पड़ा था, जब माता पार्वती के पास जाने से रोकने के कारण उन्होंने अपने ही बेटे का सिर धड़ से अलग कर दिया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे भी एक श्राप(Shraap) जिम्मेदार था, जो एक ऋषि ने भगवान शिव को दिया था.
देवाधिदेव महादेव को मिला था श्राप
इस श्राप(Curse) के बारे में आज विस्तार से जानेंगे, साथ ही ये भी जानेंगे कि देवाधिदेव महादेव जो भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं, जिनके त्रिनेत्र से कोई भी भष्म हो जाए, उन्हें श्राप देने की हिम्मत भला किसने की और क्यों की. पौराणिक कथा के मुताबिक माली और सुमाली नाम के दो राक्षस जो बड़े ही बलवान थे उन्हें भगवान सूर्यदेव(Suryadev) की वजह से काफी शारीरिक कष्ट का सामना करना पड़ रहा था. ऐसे में वह भगवान भोल के पास गए और उन्होंने अपनी पीड़ा बताई.
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भक्त की पीड़ा देखकर क्रोधित हो उठे महादेव
माली और सुमाली ने ये भी कहा कि भगवान सूर्यदेव की अवहेलना की वजह से उन्हें इतनी परेशानियां हो रही हैं. अपने भक्त को कष्ट में देखकर भगवान भोले सूर्यदेव पर क्रोधित हो उठे और उन्होंने अपने त्रिशुल से सूर्यदेव पर प्रहार(lord Shiva Attack on Suryadev) कर दिया, जिससे वह अचेत होकर गिर पड़े. सूर्यदेव के गिरते ही समस्त ब्राह्मांड में अंधकार छा गया, हर तरफ घोर अंधकार ही अंधकार था, कहीं किसी को कुछ नहीं दिखाई दे रहा है, दिन भी काली रात की तरह हो गई थी.
कश्यप ऋषि ने दिया था श्राप
उधर जब सूर्यदेव के पिता कश्यप ऋषि को इस बात की जानकारी मिली तो वह बेहद क्रोधित हुए और उन्होंने ही भगवान शिव को श्राप(Lord Shiva Shraap) दिया कि जैसे मैं आज अपने पुत्र की दशा पर दुखी हूं, वैसे ही आपको भी अपने पुत्र की हालत पर दुखी होना पड़ेगा और अपने ही पुत्र पर त्रिशुल से प्रहार करना पड़ेगा. कहते हैं कि इसी श्राप(Shraap) की वजह से भगवान गणेश का सिर उन्हें धड़ से अलग करना पड़ा और फिर बाद में हाथी का सिर लगाया.
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भगवान भोले ने सूर्यदेव को दिया जीवनदान
जब सृष्टि अंधकारमय हो गई और भगवान भोले का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने सूर्यदेव को जीवनदान दे दिया. उसके बाद एक बार फिर पूरी सृष्टि को सूर्यदेव रोशन करने लगे. इस पौराणिक कथा के माध्यम से आप समझ गए होंगे कि कैसे भगवान सूर्यदेव पर भगवान शिव ने त्रिशुल से प्रहार किया और फिर कैसे कश्यप ऋषि की श्राप की वजह से उन्हें अपने ही पुत्र गणेश(Lord Ganesh) पर प्रहार करना पड़ा.
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