भारत के खेलरत्नो मे से एक हमने कल खो दिया। कल भारत के महान एथलीट मिल्खा सिंह जी की मृत्यु हो गई। मिल्खा सिंह ने 18 जून की रात 11.30 pm. बजे चंडीगढ़ मे अपनी आखरी साँसे ली। मिल्खा सिंह की पत्नी का ५ दिन पहले ही निधन हुआ था, और वह खुद कोरोना संबन्धित समस्याओ से परेशान थे। अपनी ज़िंदगी मे आई कई सारी चुनौतिओ को अपनी मेहनत और मनोबल के दम पर हरानेवाला यह खेलाडी, कोरोना के सामने भी अपनी आखरी सांस तक हिम्मत नहीं हारा।
The Milkha family lost its backbone today. Mom taught us to be humble and be good human beings above everything else.
We can never thank her enough for everything she did for us and the unconditional love she showered…every day.
Thank you all for the prayers and kind messages pic.twitter.com/NCvurRLdIP
— Jeev Milkha Singh (@JeevMilkhaSingh) June 13, 2021
मिल्खा सिंह की मौत के बारे मे खुद उनके परिवार ने जानकारी दी थी। उनके बेटे और गोल्फ प्लेयर जीव मिल्खा सिंह ने उनकी मृत्यु पर अपना दुख व्यक्त किया था।
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मिल्खा सिंह की मौत पर शोक की लहर
देश के इस महान खेलरत्न के स्वर्गवास से देशभर मे जैसे शोक की लहर दौड़ गई है। लोग उनकी आत्मा की शांति की कामना कर रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, विजेंदर सिंह सहित कई सारी हस्तियो ने अपना शोक व्यक्त किया।
In the passing away of Shri Milkha Singh Ji, we have lost a colossal sportsperson, who captured the nation’s imagination and had a special place in the hearts of countless Indians. His inspiring personality endeared himself to millions. Anguished by his passing away. pic.twitter.com/h99RNbXI28
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2021
Shri Milkha Singh ji was not just a sports star but a source of inspiration for millions of Indians for his dedication and resilience.
My condolences to his family and friends.
India remembers her #FlyingSikh pic.twitter.com/dE70KmiQJz
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 19, 2021
RIP #MilkhaSingh ji. You’ve left behind a legacy that will inspire generations of Indian athletes. My thoughts and prayers with his family 🙏 pic.twitter.com/PxwlunQLxF
— Shikhar Dhawan (@SDhawan25) June 19, 2021
मिल्खा सिंह ने न सिर्फ मैदान मे बल्कि अपने जीवन मे भी कई सारी चुनौतिओ का सामना किया था। मिल्खा सिंह का जन्म 1929 में भारत के पंजाब प्रांत के पास एक गांव गोविंदपुरा में हुआ था। 1947 में विभाजन के दौरान वह दिल्ली आ गए थे। मिल्खा विभाजन के बाद अनाथ हो गए थे। भारतीय सेना में आने के बाद उन्होंने एथलीट के बारे में जाना। भारतीय सेना में रहकर ही उन्होंने अपनी दौड़ने की कला को और भी निखारा।
उसके बाद जो हुआ वह इतिहास है, पूरी दुनिया मे अपनी दौड़ने की कला और अविश्वसनीय मनोबल के दम पर उन्होने अपना और भारत का नाम रोशन किया। मिल्खा सिंह आज़ाद भारत के पहले खिलाड़ी है, जिनहोने 1958 के कॉमनवेल्थ गेम्स में देश को गोल्ड मेडल जितया। मिल्खा सिंह कॉमनवेल्थ गेम्स में व्यक्तिगत एथलेटिक्स श्रेणी में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट थे।
इसके अलावा उन्होने कई सारे रेकॉर्ड अपने नाम किए। खेल जगत मे मिल्खा सिंह का नाम हमेशा हमेशा के लिए अमर हो गया। भारत के इस खेलरत्न को दुनियामे ‘फ्लाइंग सिख’
के नाम से जाना जाने लगा। पर क्या आपको मिल्खा सिंह के ‘फ्लाइंग सिख’ बनने के पीछे की कहानी मालूम है?
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मिल्खा सिंह के ‘फ्लाइंग सिख’ बनने की कहानी
1958 के कॉमनवेल्थ गेम्स मे भारत को आज़ादी के बाद का पहला गोल्ड मेडल दिलवाने के बाद मिल्खा काफी खुश थे। एक के बाद एक जीत अपने नाम करने पर मिल्खा का दुनियाभर मे बड़ा नाम हो गया था। जिस वजह से फिर 1960 मे उन्हे न्योता मिला पाकिस्तान के इंटरनैशनल ऐथलीट कंपीटीशन मे भाग लेने के लिए।
बँटवारे से पहले पाकिस्तान मे ही जन्मे मिल्खा के मन मे बँटवारे के समय हुए कत्लेआम का काफी दुख था। इसी समय मे वह खुद अनाथ भी हो गए थे। उन्हे मन मे वह घाव अब तक भरे नहीं थे। इसलीए मिल्खा पाकिस्तान जाना नहीं चाहते थे। लेकिन बाद मे उन्हे कई लोगो ने संजाया, जिसमे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी शामिल थे। खुद प्रधानमंत्री के समजाने पर मिल्खा को मानना ही पड़ा और वह तैयार हो गए पाकिस्तान जाने के लिए।
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Image credit: Sprint fever
पाकिस्तान मे उस समय एक खेलाडी का नाम बड़ा ऊंचा था- जो था अब्दुल ख़ालिक़। अब्दुल वहाँ के सबसे तेज़ धावक यानि दौडवीर माने जाते थे, जिन पर पाकिस्तान को बड़ा नाज़ था। दोनों के बीच पूरा स्टेडियम अब्दुल को सपोर्ट कर रहा था, लेकिन मिल्खा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। उनके दिल मे जज़्बा थे जीतने का। आखिर देश के गौरव का सवाल था, हार का तो कोई ऑप्शन ही नहीं था। मिल्खा सिंह ने अब्दुल को रेस मे हरा दिया।
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पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने दिया खिताब
उनकी जीत से भारत तो भारत, पाकिस्तानी भी काफी प्रभावित हुए। यहाँ तक की पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने भारत के इस हीरो को ‘फ्लाइंग सिख’ का नाम भी दे दिया।
उनको यह नाम देते हुए अयूब खान मिल्खा सिंह से कहा था, ‘आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो। इसलिए हम तुम्हें फ्लाइंग सिख का खिताब देते हैं।’ इसके बाद ही मिल्खा सिंह को पूरी दुनिया मे ‘द फ्लाइंग सिख’ के नाम से जाना जाने लगा। और उन्होने अपने जीवन के दौरान भारत को जो मेडल्स दिलाए है, जो रेकॉर्ड्स अपने नाम किए है, उसे उनको दिया गया यह नाम एकदम सार्थक लगता है।
कल उनके निधन से भारतीय खेल जगत मे एक बड़ी खोट पड गई है, जो कभी भी नहीं भर पाएगी। अपनी ज़िंदादिली और हौसले से उन्होने हजारो लोगो को प्रेरित किया है। देश के इस खेलवीर को हम शत शत नमन करते है और उनकी आत्मा की शांति के लिए कामना करते है।
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