देश के सबसे बड़े सूबे की पुलिस की थ्योरी (UP Police Theory) पर इन दिनों सवाल खड़े हो रहे हैं, सवाल इस बात का है कि 2.5 फीट ऊंचे नल से 5.5 फीट से ज्यादा लंबाई वाला अल्ताफ फांसी लगाकर कैसे मर गया.
अल्ताफ की मौत पर सवाल
अल्ताफ (Altaf) की मौत के बाद ऐसे कई सवाल हैं, जो विपक्ष के नेता से लेकर आम आदमी तक उठा रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि ऐसा पहली बार नहीं है जब यूपी पुलिस की थ्योरी (UP Police Theory) या उनकी कार्रवाई पर सवाल उठ रहा हो.
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पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फांसी की बात
हालांकि अल्ताफ की मौत मामले में ऐसा पहली बार हुआ है, जब पुलिस ने इस तरह की थ्योरी दी हो. परिजनों का कहना है कि उसे प्रेम प्रसंग के मामले में पुलिस घर से पूछताछ के लिए उठाकर ले गई थी, लेकिन वहां पुलिस ने उसे इतना मारा कि उसकी मौत हो गई, जबकि पुलिस का कहना है कि उसने जैकेट की डोरी को शौचालय की टंकी से फंसाकर फांसी लगा ली. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि फांसी लगने की वजह से उसकी मौत हुई.
इससे पहले भी उठ चुके हैं सवाल
अभी अक्टूबर के महीने में अरुण वाल्मीकि नाम के सफाई कर्मचारी को आगरा के एक मालखाने से 25 लाख रुपये की चोरी के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. जहां पुलिस कस्टडी में ही उसकी मौत हो गई, अब इसे लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, उससे पहले सुल्तानपुर से राजेश कोरी नाम के व्यक्ति की पुलिस कस्टडी में मौत का मामला सामने आया था. कस्टडी में मौत (Custodial Death) के अलावा कई एनकाउंटर पर भी सवाल उठ चुके हैं.
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मनीष गुप्ता की मौत पर सवाल
सितंबर के महीने में मनीष गुप्ता नाम (Manish Gupta) के कारोबारी की मौत की ख़बर भी सामने आई थी. जिसके बाद ऐसे आरोप लगे कि देर रात आईडी चेकिंग करने पहुंची ने थाने लाकर मनीष गुप्ता को पीट-पीटकर मार दिया. ये पहली बार नहीं था जब इस तरह के सवाल खड़े हुए. बल्कि इससे पहले विकास दुबे एनकाउंटर को लेकर भी सवाल खड़े हुए थे.
हिरासत में मौत के मामले में यूपी नंबर1
सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि मीडिया रिपोर्ट की माने तो यूपी हिरासत में मौत के मामले में नंबर वन है. रिपोर्ट की मानें तो 2018 से 2021 तक यूपी में हिरासत में 1318 लोगों की मौत हुई, जो पूरे देश का करीब 24 फीसदी है.
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विकास दुबे एनकाउंटर मामला
यूपी के मॉस्ट वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey) की गिरफ्तारी के बाद उसका एनकाउंटर कर दिया, जिसमें सवाल उठे कि जब यूपी पुलिस की एसटीएफ विकास दुबे को लेकर कानपुर की सीमा में पहुंची तो गाड़ी का एक्सीडेंट कैसे हुआ, क्या विकास दुबे इस हालत में था कि वह एक्सीडेंट होते ही पुलिसकर्मियों के हथियार छीनकर भागने की कोशिश करने लगा, ऐसे कई सवाल विकास दुबे एनकाउंटर के बाद भी उठे.
पुष्पेन्द्र यादव एनकाउंटर मामला
उससे पहले एक पुष्पेन्द्र यादव नाम के युवक के एनकाउंटर (Encounter) को लेकर भी सवाल खड़े हुए थे. पेशे से ट्रक ड्राइवर पुष्पेन्द्र यादव पर पुलिस ने एसएचओ पर हमला करने और कार लूटने की कोशिश करने के आरोप में गोली मार दी. बाद में पुलिस ने कहा कि पुष्पेन्द्र खनन माफिया था. उस वक्त भी पुलिस की कार्रवाई को लेकर परिजनों ने सवाल उठाए थे.
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क्या कहते हैं एनकाउंटर के आंकड़े
जानकारी की बात ये है कि यूपी पुलिस (UP Police Theory) ने बीते साढ़े चार सालों में 8 हजार से ज्यादा एनकाउंटर किए, जिसमें करीब 150 लोगों को मार गिराया, साथ ही हजारों पकड़े और कई घायल हुए. यूपी पुलिस की इस नीति को विपक्ष ने जहां ठोको नीति करार दिया तो वहीं दूसरी ओर कई जगह अपराधियों में खौफ भी देखने को मिला.
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