दीपावली का शुभ त्योहार कल से शुरू होने वाला है. ऐसे में हम पूजा हवन की सारी सामग्री लाकर देव-देवताओं की आराधना करते हैं. इस वर्ष धनतेरस 2 नवंबर को है. कार्तिक माह की त्रयोदशी के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. अधिकतर लोगों को लगता है कि धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है लेकिन हम आपको बता दें कि धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरी की पूजा होती है. धनतेरस के दिन विधिपूर्वक भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाए तो वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.
कौन है भगवान धन्वंतरी
धन्वंतरी देव को आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है. उन्हें देवताओं का चिकित्सक माना जाता है. माना जाता है कि भगवान विष्णु के 24 अवतारों में 12वां अवतार धन्वंतरि का था.
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पौराणिक कथाएं
मान्यता है कि भगवान धन्वंतरी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी. वे समुद्र में से अमृत का कलश लेकर निकले थे. इसके लिए देवों और असुरों में संग्राम हुआ था. श्रीमद्भागवत पुराण, महाभारत, विष्णु पुराण, अग्नि पुराण आदि पुराणों में समुद्र मंथन की कथा मिलती है. दूसरी मान्यता ये भी है कि गालव नामक ऋषि जब प्यास से व्याकुल होकर वन में भटक रहे थे तो वीरभद्रा नामक एक कन्या जो घड़े में पानी लेकर जा रही थी उन्होंने ऋषि की प्यास बुझायी. इससे प्रसन्न होकर गालव ऋषि ने उन्होंने योग्य पुत्र की मां बनने का आशीर्वाद दिया. वीरभद्रा ने जब बताया कि वो वेश्या है तब ऋषि उन्हें आश्रम ले गए और उन्होंने वहां कुश की पुष्पाकृति आदि बनाकर उसके गोद में रख दी और वेद मंत्रों से अभिमंत्रित कर प्रतिष्ठित कर दी वही धन्वंतरि कहलाए.
धन्वंतरि देव को वैद्य और आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है. धन्वंतरि के हजारों ग्रंथों में से अब केवल धन्वंतरि संहिता ही पाई जाती है, जो आयुर्वेद का मूल ग्रंथ है. कहते हैं कि धन्वंतरि लगभग 7 हजार ईसापूर्व हुए थे.
कार्तिक माह की त्रयोदशी के दिन यानि धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था. धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं. रामायण, महाभारत, सुश्रुत संहिता, चरक संहिता, काश्यप संहिता तथा अष्टांग हृदय, भाव प्रकाश, शार्गधर, श्रीमद्भावत पुराण आदि में उनका उल्लेख मिलता है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
आपको बता दें कि इस बार पूजा का मुहर्त शाम 5 बजे से 6:30 बजे तक रहेगा. आप शाम 6:30 से 8 बजकर 11 मिनट तक भी पूजा कर सकते है.
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पूजा की विधि
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने के लिए उनकी तस्वीर को ऐसे स्थापित करें कि आपका मुंह पूजा के दौरान पूर्व की ओर रहे. इसके बाद हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें और भगवान धन्वंतरि का आवाह्न करें. इसके बाद तस्वीर पर रोली, अक्षत, पुष्प, जल, दक्षिणा, वस्त्र, कलावा, धूप और दीप अर्पित करें. इसके बाद नैवेद्य चढ़ाएं और भगवान धन्वंतरि के मंत्रों का जाप करें. इसके बाद आरती करें और दीपदान करें.
भगवान धन्वंतरि के मंत्र
- ॐ श्री धनवंतरै नम:
- ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धनवंतराये:,
अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय,
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप,
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री अष्टचक्र नारायणाय नमः
- ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः,
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम,
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम,
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम.
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